Saturday 3 November 2012

गली से भारतीय टीम तक का सफर

अल्मोड़ा -एकता बिष्ट ने अल्मोड़ा के खजांची मुहल्ले में अपने साथियों के साथ प्लास्टिक और रबर की गेंद से शुरुआत की और फिर अल्मोड़ा के छोटे से स्टेडियम में प्रैक्टिस करके
देश की टीम में शामिल होने का सपना देखा। अल्मोड़ा में तमाम असुविधाओं के बीच यह मुकाम हासिल करना सरल नहीं था, लेकिन अपनी मेहनत और लगन के बल पर आखिरकार एकता ने यह संभव कर दिखाया और आखिरकार वह भारतीय महिला क्रिकेट टीम में बतौर लेग स्पिनर चुन ली गई हैं। एकता अल्मोड़ा जिले के ल्वाली गांव के मूल निवासी महेंद्र सिंह धौनी की तरह क्रिकेट में नाम कमाना चाहती है। खजांची मुहल्ला निवासी अल्मोड़ा निवासी पूर्व सैनिक कुंदन सिंह बिष्ट और तारा बिष्ट की पुत्री एकता बचपन में घर के पास हुक्का क्लब के आंगन में अपने साथियों के साथ शौकिया क्रिकेट खेला करती थी और तेज गेंद फेंका करती थी। 2002 में उन्होंने प्रैक्टिस के लिए अल्मोड़ा के छोटे से स्टेडियम जाना शुरू किया। एकता की लगन को देखते हुए कोच लियाकत अली ने उन्हें लेफ्ट आर्म स्पिन गेंद करने की प्रैक्टिस करानी शुरू की। अल्मोड़ा ग्रेजुएट की पढ़ाई के दौरान ही वह विश्वविद्यालय की टीम में चयनित हो गई। 2002 से 2006 तक एकता ने उत्तराखंड की टीम में खेला। उसके बाद उत्तराखंड की महिला टीम नहीं बन पाने के कारण वह उप्र की टीम से खेलने लगी। 2005 में उनका चयन भारतीय जूनियर टीम के कैंप के लिए हुआ पर चोट लगने के कारण उसे वापस लौटना पड़ा। 2009 एकता के लिए काफी अच्छा रहा। नवंबर 2009 में उन्होंने उप्र की ओर से खेलते हुए विदर्भ के खिलाफ आठ ओवर में बगैर कोई रन दिए तीन विकेट लिए। विदर्भ के खिलाफ एक अन्य मैच में उन्होंने 13 रन देकर पांच विकेट लिए यह उनका अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन है। मध्य प्रदेश के खिलाफ भी एकता ने 10 ओवर में नौ रन देकर तीन विकेट लिए। 26 फरवरी 2010 को बंगलूरू में इंग्लैंड के खिलाफ बोर्ड एकादश की तरफ से खेलते हुए एकता ने 10 ओवर में 40 रन देकर एक विकेट लिया। प्रतियोगिताओं के आधार पर उनका चयन 2010 में महिला क्रिकेट टी20 विश्व कप के लिए संभावित 30 खिलाड़ियों में हुआ लेकिन तब वह अंतिम 15 खिलाड़ियों में स्थान नहीं पा सकी। इस बार उन्हें अंतिम 15 खिलाड़ियों में शामिल कर लिया गया है। एकता एक अच्छी फि ल्डर मानी जाती हैं जिससे उनकी संभावनाएं अच्छी मानी जा रही हैं। एकता अब तक भी अपने कोच लियाकत अली के निर्देशन में अल्मोड़ा स्टेडियम में ही प्रैक्टिस किया करती थी। जबकि यह फील्ड भी मानकों के मुताबिक छोटा है। एकता का कहना है कि भारतीय टीम की ओर से खेलकर जीत दिलाना उनका सपना है इसके लिए वह जी तोड़ मेहनत करेंगी। वह महेंद्र सिंह धौनी की तरह नाम कमाना चाहती हैं। अपनी अब तक की सफलता का श्रेय वह कोच लियाकत अली और माता पिता को देती हैं।
अल्मोड़ा की उदयीमान खिलाड़ी एकता बिष्ट का चयन भारतीय महिला क्रिकेट टीम में हुआ। वह लेग स्पिनर हैं। उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा है। खेल प्रेमियों ने आतिशबाजी करके खुशी का इजहार किया।उल्लेखनीय है कि एकता पिछले साल अप्रैल-मई में वेस्टइंडीज में आयोजित महिला टी-20 वर्ल्ड क्रिकेट कप के लिए 30 संभावित खिलाड़ियों में चुनी गईं थी लेकिन बाद में वह अंतिम 15 खिलाड़ियों में शामिल नहीं हो सकी। उसके बाद से एकता लगातार प्रैक्टिस करती रही और आखिरकार उनका चयन भारतीय महिला क्रिकेट टीम के सदस्य के तौर पर हो गया है। उन्हें अंतिम 15 खिलाड़ियों में शामिल किया गया है। वह बंगलूरू में प्रशिक्षण कैंप के लिए रवाना हो चुकी हैं। जिला क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष गिरीश धवन ने बताया कि बंगलुरू में 16 जून तक प्रशिक्षण लेने के बाद 17 जून को भारतीय महिला क्रिकेट टीम इंग्लैंड रवाना होगी। इंग्लैंड में 26 जून से भारत, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के बीच होने वाली टी 20 और एक दिवसीय क्रिकेट प्रतियोगिता में भाग लेंगी।एकता के भारतीय महिला क्रिकेट टीम में चयनित होने पर क्रिकेट एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष गिरीश धवन, सचिव लियाकत अली, कोषाध्यक्ष मनोज सनवाल, विधायक मनोज तिवारी, पूर्व विधायक कैलाश शर्मा, शेखर लखचौरा, सीएल सेन, बिट्टू कर्नाटक, जगदीश वर्मा, ललित लटवाल आदि ने प्रसन्नता व्यक्त की है।वहीं एकता बिष्ट के कोच लियाकत अली ने एकता के राष्ट्रीय महिला क्रिकेट टीम में चयन होने पर खुशी जताते हुए इसे एकता की मेहनत और लगन का नतीजा बताया। उन्होंने कहा कि इससे अन्य युवा खिलाड़ियों को भी प्रेरणा मिलेगी।
एकता बताती है कि उसने 16 साल की आयु से पूरे मनोयोग से क्रिकेट खेला। उत्तराखंड की क्रिकेट टीम न होने से वह 2002 में गोरखपुर से उत्तर प्रदेश और 2 सालों से वह सेंट्रल जोन और इंण्डिया चैलेंजर में खेल रही है। विश्वकप प्रतियोगिता में भी वह भाग ले चुकी है। अपने इंग्लैण्ड के अनुभवों के आधार पर उसने बताया कि वहाँ की तुलना में यहाँ खिलाडि़यों को आधी सुविधा भी नहीं मिलती। अल्मोड़ा नगर में तो एक अच्छा स्टेडियम तक नहीं है। एक छोटे खेल मैदान में ही सभी खिलाड़ी विभिन्न प्रकार के खेल खेलते आए हैं। जबकि अन्य देशों में खेल मैदानों की भरमार है। साथ ही उनके खिलाड़ी खेल के सामान और फिटनेस को लेकर कमी महसूस नहीं करते। एकता ने क्रिकेट में उत्तराखण्ड की लड़कियों का भविष्य कठिन बताया और कहा कि आज तक इस राज्य में लड़कियो के लिए क्रिकेट एसोशिएसन तक गठित नहीं हो पाई है। भारतीय क्रिकेट कप्तान महेन्द्र सिंह धौनी के अपने आप को उत्तराखण्ड का न बताने पर उसका कहना था कि झारखण्ड ने धौनी को आगे बढ़ाया तो वे क्यों उत्तराखंड से नाता जोड़ेंगे ?

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