Wednesday 14 March 2012

उम्मीदों की रेल पर फिर ठगा गया उत्तराखंड

रेल बजट से उत्तराखंड वासियों को इस बार बडी उम्मीद थी...कि शायद इस बार बजट में रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी पहाड में रेल चढाने के लिए बजट में जरूर इसे शामिल करेगे...लोगों की ये उम्मीद बेवजह भी नहीं थी..
.इसके पीछे की एक बडी वजह थी...प्रदेश के पांचों सांसद औऱ सभी के सभी कांग्रेसी...और केन्द्र में सरकार भी कांग्रेस की...लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात...रेल मंत्री ने बजट में उत्तराखंड को दरककिनार कर दिया। हालांकि रेल बजट पेश करने से पहले दिनेश त्रिवेदी का कहना था कि बजट से पहले सभी सांसदों औऱ सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से सलाह मशवरा किया गया है...ताकि हर राज्य के लिए बजट में कुछ ना कुछ हो...लेकिन बजट पेश होने के बाद साफ हो गया कि रेल मंत्री की बातों में कितना दम था। बजट में उत्तराखंड के उपेक्षित रहने के पीछे बडी वजह प्रदेश के पांचों कांग्रेसी सांसद हरीश रावत, प्रदीप टम्टा, के सी सिंह बाबा, सतपाल महाराज और विजय बहुगुणा भी है...जाहिर है ये पांचों सांसद प्रदेश की जनता का आवाज़ को पुरजोर तरीके से रेल मंत्री के सामने नहीं रख पाए...जिस वजह से छुकछुक गाडी में सफर करना पहाड के लोगों के लिए एक सपने की तरह रह गया। खास बात यह है कि आजादी के बाद से भारतीय़ रेल ने लंबी छलांग लगायी...लेकिन उत्तराखंड में आज़ादी के बाद से एक किमी भी नई रेल लाईन नहीं बिछ पायी...इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उत्तराखंड कितना उपेक्षित रहा है। हालांकि कुछ समय पहले रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने गौचर में ऋषिकेश से लेकर कर्णप्रयाग तक की प्रस्तावित रेल लाईन का शिलान्यास किया था...लेकिन ये प्रस्तावित रेल मार्ग जमीन के मसले को लेकर राजनीति की भेंट चढ गया...ऐसा ही कुछ हाल चंपावत – बागेश्वर रेल लाईन का भी हुआ जो सर्वे हो जाने के बाद भी अधर में लटकी हुई है। हालत ये है कि उत्तराखंड में रेल मैदान को छूती हुई ही निकल जाती है...औऱ पहाड के लिए रेल आज भी एक सपना बना हुआ है। जिन मैदानी इलाकों में रेल सेवा है भी वहां के लोग लंबे समय से देश के प्रमुख शहरों के लिए सीधी रेल सेवा की मांग कर रहे हैं...लेकिन उनकी ये आवाज दिल्ली पहुंचने से पहले ही दम तोड देती है। बहरहाल उत्तराखंड में अपनी महत्वकांक्षाओं को पूरा करने को लेकर प्रदेश के सांसद अपनी ही पार्टी के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करते नहीं थकते...लेकिन प्रदेश के विकास के लिए प्रदेशवासियों के लिए उनके पास समय नहीं है...शायद यही वजह है कि रेल के नक्शे में उत्तराखंड का वजूद ना के बराबर है...औऱ पहाड पर रेल का चलना पहाड के लोगों के लिए किसी सपने से कम नहीं है। उम्मीद करते हैं कि शायद हमारे सांसद दिल्ली में अपनी आवाज प्रदेश की जनता के लिए बुलंद करेंगे ताकि पहाड का विकास हो यहां के लोगों को विकास हो...औऱ अगला रेल बजट उत्तराखंड के लिए खुशियों की सौगात लेकर आये।

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