Tuesday 28 February 2012

कुमाऊं का पहला बायो-गैस बिजलीघर तैयार

गोविंद सनवाल, हल्द्वानी-गाय के गोबर से बिजली तैयार है। बस स्विच ऑन कीजिए और लाइट ऑन। कुमाऊं में पहला बायो गैस बिजलीघर बनकर तैयार हो गया।
उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) ने हल्दूचौड़ परमा स्थित गौ सदन में 13.50 लाख की लागत के आठ किलोवाट क्षमता के बिजलीघर का निर्माण किया है।गोबर के प्रयोग से अब बिजली के बल्ब भी जलेंगे। उरेडा ने बायो गैस बिजली संयंत्र का निर्माण कार्य पूरा कर इस दिशा में महत्वपूर्ण पहल की है। हल्दूचौड़ परमा में स्थित गौ सदन अब ऊर्जा निगम पर निर्भर नहीं रहेगा। सदन की जरूरत की बिजली अब उसे वहां पल रहे सैकड़ों गौ वंशीय पशुओं के गोबर से ही मिलने लगेगी। उरेडा ने 60 घन मीटर क्षमता के बायो गैस प्लांट के साथ गोबर गैस से संचालित होने वाले इंजन व जनरेटर की स्थापना यहां की है। इस संयंत्र को चलाने के लिए प्रतिदिन 12 कुंतल गोबर की जरूरत पड़ेगी, जिससे रोजाना आठ किलोवाट बिजली बनेगी। यह बिजली सदन की जरूरतों को पूरा कर लेगी। 13.50 लाख रुपए की इस परियोजना में उरेडा ने 40 हजार रुपए प्रति किलोवाट की दर यानी 3.20 लाख का अनुदान दिया, जबकि शेष 13.30 लाख की धनराशि पशुधन विकास बोर्ड ने दी। उरेडा के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी एलडी शर्मा ने बताया कि कुमाऊं की यह पहली परियोजना सफल रही है। 15 दिन के भीतर इसे चालू कर दिया जाएगा। श्री शर्मा ने बताया कि साथ ही बाजपुर स्थित गौ सदन में भी बायो गैस बिजलीघर का निर्माण शुरू कर दिया गया है। जल्द ही इस कार्य में और तेजी आएगी। उनके मुताबिक कालसी एवं श्यामपुर (हरिद्वार) में यह संयंत्र पूर्व में लगाए गए थे, जिनके सफल संचालन के बाद ही कुमाऊं में भी इसे अपनाया गया।

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