Thursday 11 August 2011

बच्ची को गोद लेने की अनुमति दी कोर्ट ने

नए कानून के तहत प्रदेश की राजधानी में पहला फैसला

देहरादून -। गोद लेने के नए कानून के तहत देहरादून की अदालत ने पहला फैसला दिया है। कोर्ट ने दिल्ली की दंपती को बच्ची गोद लेने की अनुमति दे दी है। राजकीय शिशु सदन की तरफ से इस मामले में आवेदन किया गया था। राज्य में अन्य गैरसरकारी शिशु सदन है, मगर सरकारी महकमे के मामले में देहरादून का यह पहला मामला है।



वकील पृथ्वी सिंह नेगी ने बताया कि देहरादून के राजकीय शिशु सदन बनाम रवि शर्मा मामले में अपर जिला जज केके शुक्ला की अदालत ने सोमवार को इसकी अनुमति प्रदान की। राजकीय शिशु सदन की तरफ से अधीक्षिका अंजना गुप्ता ने कोर्ट में आवेदन किया गया था। अधीक्षिका ने कोर्ट को बताया कि उत्तराखंड शासन के आदेश के मुताबिक उनकी संस्था को दत्तक ग्रहण के लिए मान्यता दी गई है। उक्त संस्था ने बच्चे को गोद देने के मामले में सभी औपचारिकता पूरी की हैं। बच्चे को गोद लेने के लिए आवेदन करने वाले रवि शर्मा व उनकी पत्नी सोनू शर्मा की पूरी जांच की गई है। दोनों के मेडिकल, शैक्षिक, आर्थिक तथा नैतिक स्थिति की जांच की गई है। इस मामले में दैनिक समाचार पत्र में विज्ञापन भी दिया गया था। दिल्ली निवासी रवि शर्मा व उनकी पत्नी ने बच्ची को गोद लेने का आवेदन किया। रवि शर्मा व बच्ची की उम्र में 21 साल से ज्यादा का फर्क है। इसलिए भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के मुताबिक आवेदक मापदंड को पूरा करता है। इसके बाद अर्पिता उर्फ आरोही को कोर्ट ने रवि शर्मा व उनकी पत्नी को सौंपने की अनुमति दे दी। फैसले में कहा गया है कि गोद लेने वाले दंपति को अगर भविष्य में कोई और संतान पैदा होती है तो बच्ची के कानूनी अधिकारों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। आवेदन करने वाले दंपति को बेटा है, मगर उनकी कोई बेटी नहीं है। इसके चलते उसने बेटी गोद लेने के लिए आवेदन किया है।

केंद्र सरकार के निर्देशों के मुताबिक शर्तो को पूरा करता है आवेदक

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