Tuesday 16 August 2011

किसानों के करीब अपणु बाजार



देहरादून,-आंध्र प्रदेश का रायतू बाजार हो या कर्नाटक का रैयथात सैंथागलू, तमिलनाडु का उलूवार संथाई हो अथवा पंजाब की अपनी मंडी, मंशा सबकी यही है कि छोटी जोत वाले किसान लाभान्वित हों। साथ ही उपभोक्ताओं को उच्चगुणवत्ता वाले उत्पाद मिल सकें। चारों राज्यों में सफल इस कांसेप्ट को अब उत्तराखंड में भी अपनाया जा रहा है।
नाम दिया गया है अपणु बाजार। इसके जरिए किसान सीधे उपभोक्ताओं तक उत्पाद पहंुचा सकेंगे। सरकार का भी इसे अनुमोदन मिल गया है और इसकी शुरुआत होगी देहरादून जिले से।
लघु एवं सीमांत किसानों को उत्पाद का उचित लाभ न मिल पाना उत्तराखंड में भी एक बड़ी समस्या है। वजह, विपणन की व्यवस्था का अभाव। ऐसे में बडे़ किसान तो मंडियों तक उत्पाद ले जाते हैं, लेकिन छोटी जोत वाले कृषकों के लिए यह संभव नहीं हो पाता और बिचौलियों के हाथों औने-पौने दामों पर उत्पाद बेचना मजबूरी बन जाती है। कई मर्तबा तो उत्पाद खेतों में ही सड़ जाते हैं। इसको देखते हुए हाल ही में शासन ने एक दल को अध्ययन के लिए कर्नाटक व आंध्र प्रदेश भेजा। वहां से कांसेप्ट मिला तो अब इसे कुछ संशोधनों के साथ उत्तराखंड में भी लागू करने की योजना बनाई गई। अपणु बाजार को धरातल पर उतारने को सरकार ने हरी झंडी दे दी है। इसके तहत गांवों के नजदीकी कस्बों व शहरों में टिन शेड बनाकर बैठने को चबूतरे बनाए जाएंगे, जिनका किसानों के स्वयं सहायता समूहों को पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर आवंटन होगा। इससे विपणन की दिक्कत तो दूर होगी ही, लोगों को ताजी सब्जियां समेत अन्य उच्च गुणवत्तायुक्त उत्पाद वाजिब दामों पर मिल सकेंगे।


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