Tuesday 1 February 2011

चंदोला रांई: यहां हर घर में है चित्रकार

पौड़ी गढ़वाल-हिमालय के दूर से नजर आते दृश्य भले ही आम आदमी के लिए श्वेत बर्फ से ढकी पहाडिय़ां हों, लेकिन एक चित्रकार के लिए यह प्रकृति की अनुपम देन है। एक चित्रकार हिमालय में रोज 18 रंग देखता है और वह तूलिका से चित्रों में रंग भरकर उसमें खोया रहता है। पौड़ी-श्रीनगर मोटर मार्ग पर पौड़ी से 7 किमी. की दूर पर चंदोला रांई बसा है। यहां कभी 60 परिवार रहते थे, पर रोजी-रोटी की तलाश में 42 परिवार देश के विभिन्न शहरों में बस गए हैं। अब यहां सिर्फ 18 परिवार ही निवास करते हैं। इन परिवारों में 10 चित्रकार हैं। इनमें से 6 हिमालय के विभिन्न दृश्यों को कूची से कागज पर उकेरते हैं। चंदोला रांई को ये हुनर विरासत में मिला है। 60 के दशक में इस गांव में नामी चित्रकार धरणीधर चंदोला के चित्रों की धूम राष्टï्रीय बाजारों में रही। धरणीधर चंदोला के चित्र आज भी बोलते हुए नजर आते हैं। धरणीधर चंदोला ने न सिर्फ चित्रों में कमाल दिखाया, बल्कि 7 तारों के बैंजों में 21 तार जोड़कर विचित्र वीणा को जन्म दिया। वर्तमान में उनकी पुत्री मालश्री खुगशाल विचित्र वीणा की प्रस्तुतियां देती हैं। इसके अलावा उन्हें चित्रकला में काफी रुचि है। यही वजह भी है कि वर्ष 1991 में धरणीधर चंदोला की इस दुनिया से विदाई के बाद भी लोग उन्हें नहीं भूल पाए हैं। पौड़ी में हर साल धरणीधर चंदोला की स्मृति में चित्रकला स्पर्धा विभिन्न वर्गों में आयोजित होती है। सर्किल आफिस लोक निर्माण विभाग पौड़ी में लिपिक पद पर तैनात प्रमोद चंदोला को ही देखें तो आफिस जाने से पहले वे हिमालय के दृश्यों में रंग भरते हैं और आफिस से लौटने के बाद फिर चित्रों में डूब जाते हैं। उनकी बेटी मालविका चंदोला, श्रीनगर विवि से आर्ट में बीए कर रही हैं। मालविका भी चित्र में रंग भरती है। इसी गांव की गुड्ïडी भी कागजों में रंग भरती हैं। पदमादत्त चंदोला अवकाश प्राप्त प्रधानाध्यापक हैं और उनका पूरा दिन रंगों के साथ गुजरता है। पंकज चंदोला, बंसत कुमार चंदोला, पूरण चंद चंदोला, समेत अन्य भी चित्रों में महारत रखते हैं। उधर,चंदोला रांई के चित्रकारों ने तय किया है कि अब वे शरदोत्सव, पंचायत महोत्सव व अन्य अवसरों पर गांव की ओर पेटिंग प्रदर्शनी लगाएंगे। पेटिंग में गांव का सामूहिक योगदान होगा। ''प्रसिद्घ चित्रकार धरणीधर चंदोला की यादों को सजोना निहायत जरूरी है और कोशिश की जा रही है चंदोला रांई के चित्र लोगों के मन को छूए।ÓÓ -प्रमोद चंदोला ''पेटिंग जीवन का लक्ष्य है और यही वजह भी रही है बीए मैंने आर्ट को अपने विषय में शामिल किया है। पौड़ी में आर्ट नहीं है और यही वजह रही श्रीनगर प्रवेश लेना पड़ा।ÓÓ -मालविका चंदोला, बीए तृतीय वर्ष।

2 comments:

  1. राकेश जी,

    आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं पहाड़ी धरोहरों के बारे में जानकारी दे कर| धन्यवाद|

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