Friday 8 October 2010

-पौड़ी की रामलीला पहुंची यूनेस्को

पौड़ी गढ़वाल,\ संस्कृति नगरी के तौर पर जानी जाने वाली पौड़ी ने रंगमंचीय स्तर पर एक और मुकाम हासिल कर लिया है। पौड़ी की 112 वर्ष पुरानी रामलीला अब यूनेस्को में पहुंच गई है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला मंच ने रामलीला को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय में स्थान देकर इसे पुरातात्विक धरोहर घोषित किया गया है। 112 वर्ष पूर्व पौड़ी में रामलीला शुरू की गई थी, तब आज जैसी बिजली व अन्य तकनीकी सुविधाएं मौजूद नहीं थीं। ग्रामीण छिलके जलाकर रामलीला देखा करते थे। उस समय चंद लोगों की पहल पर शुरू हुआ यह आयोजन अब विस्तृत रूप ले चुका है। आधुनिक तकनीक, विद्युत प्रकाश व अन्य सुविधाएं उपलब्ध हो गई हैं, लेकिन स्वरूप आज भी वही पुराना है। अंतर है तो बस इतना कि अब महिला पात्रों की भूमिकाएं महिलाएं ही निभाती हैं। पौड़ीवासियों में हर वर्ष होने वाले रामलीला आयोजन को लेकर उत्साह देखते ही बनता है। महीनों पहले से लोग आयोजन की तैयारियों में जुट जाते हैं। रामलीला से जुड़े कुछ कलाकारों ने अपनी अभिनय क्षमता की ऐसी छाप छोड़ी कि आज भी वे अपने पात्रों के नाम से ही जाने जाते हैं। एजेंसी मोहल्ले में राशन की दुकान चलाने वाले श्रीधर ऐसे ही शख्स थे। रावण की भूमिका में उन्होंने ऐसा जीवंत अभिनय किया कि उनका नाम ही रावण लाला पड़ गया। वह जब तक जीवित रहे, लोग उन्हें इसी नाम से पुकारते रहे। यहां यह भी बता दें कि पौड़ी की रामलीला अन्य जगहों की अपेक्षा खास है। यहां शास्त्रीय रागों पर आधारित गेय शैली में लीला आयोजित होती है। विशेषत: रागदेश, राग विहाग, जैजवंती, मालकोश, जौनपुरी, आशावरी, बागेश्री, रागदरबारी आदि शामिल हैं। रामलीला समिति से लंबे समय जुड़े उमाचरण बड़थ्वाल, अरविंद मुदगिल बताते हैं कि वरिष्ठ रंगकर्मी व कमेटी अध्यक्ष हरीश रावत के नेतृत्व में वर्ष 2008 में 40 सदस्यों ने इंदिरा गांधी कला केंद्र नई दिल्ली में मंचन किया था। इसके बाद केंद्र ने पौड़ी की रामलीला को संग्रहालय में स्थान तो दिया ही, इसे यूनेस्को में भी भेजा। अब यूनेस्को इसे धरोहर के रूप में संग्रहीत कर रही है। इस वर्ष आठ अक्टूबर से शुरू हो रही रामलीला के दौरान इंदिरा गांधी केंद्र समेत यूनेस्को के अधिकारी भी पहुंच रहे हैं। वे यहां रामलीला का रेकार्ड तैयार करेंगे। रामलीला कमेटी के अध्यक्ष हरीश रावत बताते हैं कि वे रामलीला मंचन को और अधिक आकर्षक बनाना चाहते हैं, लेकिन धन की कमी इसमें बड़ा रोड़ा है।

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