Thursday 10 June 2010

अब तो वो बात कहां?

-आज के गहनों में तिमणियां, बुलाक जैसी कहां बात -आभूषण ही नहीं संस्कृति की पहचान भी थे यह -आधुनिक आभूषणों ने ले लिया इनका स्थान (टिहरी गढ़वाल:-- तिमणियां व बुलाक आज भले ही यह नाम सुनने में अजीब लगते हों, लेकिन कभी यही खास गहने पहाड़ की महिलाओं की पहचान हुआ करते थे। त्योहार-पर्वों के अवसर पर जब महिलाएं इन्हें पहनती थी तो उनकी सुंदरता में चार चांद लग जाते थे। आधुनिक चकाचौंध में आज यह सब खो गए हैं और इनकी जगह अब आधुनिक गहनों ने ले ली है। उल्लेखनीय है कि तिमणियां (गले का हार) व बुलाए (नाक में पहने जाने वाला जेवर) मात्र गहने ही नहीं थे, बल्कि पहाड़ की संस्कृति सभ्यता की पहचान भी थे। शादी-ब्याह व त्योहारों के अवसर पर महिलाएं विशेष तौर पर इन्हें पहनती थी। गले में पहना जाने वाला तिमणियां की बनावट भी विशेष होती थी। इन्हें तैयार करने में काफी दिन लग जाते थे। इन आभूषणों का प्रचलन राजशाही के जमाने से बताया जाता है। उस समय इन आभूषणों का काफी प्रचलन था। लम्बे समय तक इन आभूषणों का राज रहा है। कई स्थानों पर आयोजित होने वाले नृत्य व मेले में महिलाएं इन आभूषणों से लकदक होकर सामूहिक नृत्य करती थी। इन आभूषणों को लेकर कई गढ़वाली गीत भी लिखे गए हैं। तिमणियां व बुलाक केवल आभूषण ही नहीं थे बल्कि वक्त पडऩे पर यह लोगों के आर्थिक मदद के काम भी आते थे। यहां यह बता दें कि आज के आभूषणों के अपेक्षा बुलाक व तिमणियां काफी भारी-भरकम होते थे। आज भी गढ़वाली एलबमों पर यदाकदा पहाड़ की संस्कृति के पहचान यह आभूषण दिखाई देते हैं। आज गांव में यह आभूषण दिखाई नहीं देते बहुत कम गांवों में बुजुर्ग महिलाओं के पास ही यह आभूषण मिलेंगे, लेकिन वह भी अब इन्हें संदूक में ही संभाले हुए हैं। आज यह आभूषण बीते जमाने की बात हो गई है। नई पीढ़ी तो इन आभूषणों से परिचित ही नहीं है। आधुनिक चकाचौंध में इन प्राचीन आभूषणों की जगह नए-नए आभूषणों ने ले लिया है। समय के साथ-साथ गहने भी बदल गए हैं। तिमणियां की जगह अब हार व बुलाक की जगह नथ ने ले ली है। पहले जहां दशकों तक नथ व बुलाक आभूषणों का चलन रहा है वहीं आधुनिक समय में इसमें नित नए बदलाव आ रहे हैं। गांव की महिला सुमणी देवी का कहना है कि पहले जैसे आभूषण अब कहां रह गए हैं। उनका कहना है कि वर्षों बाद भी गांव में बुलाक व तिमणियों का प्रचलन रहा है, लेकिन अब धीरे-धीरे गांव में यह दिखाई नहीं देते। उनका कहना है कि आज के गहनों में बुलाक व तिमणियां जैसी बात कहां।

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