Friday 30 April 2010

- परंपराओं ने संजाई प्राचीन धरोहरें

-वरुणावत के पांच कोस की परिधि में बिखरे पड़े हैं धार्मिक पुरावशेष -अनूठे शिल्प वाले मंदिर व मूर्तियों सहित प्राचीन गुफाएं भी हैं मौजूद -पुरातत्व विभाग ने नहीं ली है अभी इस क्षेत्र की कोई सुध उत्तरकाशी: वरुणावत पर्वत की पांच कोस की परिधि पौराणिक महत्व के अवशेषों से भरी पड़ी है। हालांकि प्राचीन काल के इन धार्मिक व ऐतिहासिक साक्ष्यों की ओर न तो पुरातत्व विभाग ने ध्यान दिया और न ही कोई विस्तृत अध्ययन सामने आया है। बावजूद इसके स्थानीय लोगों ने इन अवशेषों को अपनी परंपराओं में संजोया हुआ है। वरुणावत पर्वत के पूर्वी हिस्से में गंगा भागीरथी और वारुणी नदी के संगम से एक ऐसा क्षेत्र शुरू होता है जहां प्राचीन इतिहास के अवशेष बिखरे पड़े हैं। बड़ेथी में वरुणेश्वर मंदिर से शुरू होकर वरुणावत पर्वत के ऊपर शिखरेश्वर महादेव तक मंदिरों का शिल्प, शिवलिंगों व समय- समय पर खुदाई में मिली मूर्तियां हैरत में डालती हैं। बीते वर्ष ज्ञाणजा गांव के हारुना नामे तोक की प्राचीन गुफा में मिली भगवान कृष्ण के बालरूप की आकर्षक मूर्ति ने स्थानीय लोगों को हैरत में डाल दिया था। इससे आगे साल्ड गांव में जगन्नाथ मंदिर का अनूठा वास्तुशिल्प हर व्यक्ति को कौतुहल में डालने के लिये काफी है। साथ ही, साल्ड गांव में ही भगवती च्वाला का मंदिर, व्यास कुंड, समेश्वर देवता व नाग देवता के पौराणिक मंदिर व उनमें रखी मूर्तियां भी अत्यंत प्राचीन हैं। महावारुणी यात्रा मार्ग में पडऩे वाले ऊपरीकोट व भराणगांव भी इस लिहाज से अहम हैं। इन प्राचीन धरोहरों की अभी तक पुरातत्व विभाग ने सुध नहीं ली है। जबकि अकादमिक स्तर पर भी इस क्षेत्र का कोई अध्ययन सामने नहीं आ सका है। स्थानीय लोगों को भी इन धरोहरों के निर्माण की जानकारी नहीं है, लेकिन ये सभी धरोहरें उनकी परंपराओं से बखूबी जुड़ी हुई हैं। वारुणी यात्रा समेत, स्थानीय मेलों व धार्मिक क्रियाकलाप इन्हीं धरोहरों के इर्द गिर्द घूमते हैं। जगन्नाथ मंदिर के पुजारी सूर्य बल्लभ सेमवाल बताते हैं कि ये सभी धरोहरें अत्यंत प्राचीन हैं। इनके निर्माण व अवतरण के बारे में स्पष्ट ज्ञात तथ्य सामने नहीं आ सके हैं। उन्होंने माना कि पुरातत्व विभाग को ऐसे स्थलों को चिन्हित कर इनके संरक्षण के लिए आगे आना चाहिए। इस संबंध में क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी पीपी बडोनी ने बताया कि बीते वर्ष ज्ञाणजा में मिली भगवान कृष्ण की अनूठी मूर्ति की सूचना मिली थी। उन्होंने स्वीकार किया कि इस क्षेत्र से समय-समय पर ऐतिहासिक व प्राचीन वस्तुओं के संबंध में सूचनाएं मिलती हैं। शीघ्र ही इस क्षेत्र में पुरातत्व विभाग का दल भेजकर अध्ययन कराया जाएगा। -

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