Friday 1 January 2010

साजिश का शिकार हुआ

देहरादून, आंध्र प्रदेश राज्यपाल पद से इस्तीफा देने वाले नारायण दत्त तिवारी का कहना है कि वे तेलंगाना संघर्ष की राजनीति का शिकार हुए हैं। श्री तिवारी ने कहा कि जनता की सेवा का उनका आंदोलन जारी रहेगा। हैदराबाद से देहरादून लौटे श्री तिवारी ने पत्रकारों से संक्षिप्त वार्ता की। स्वयं पर लगे आरोपों के बारे में पूछे गए एक सवाल पर उनका कहना है कि सब बेबुनियाद बातें हैं। असल में वे तेलंगाना संघर्ष की साजिश का शिकार हुए हैं। वहां राजभवन में रोजाना सैकड़ों लोग घुसने की कोशिश करते रहे हैं। वे लोग चाहते थे कि राज्यपाल अपने स्तर से इस बारे में कुछ कहें। संवैधानिक पद पर रहते हुए उनके लिए कुछ कहना संभव हीं नहीं था। इसी से नाराज लोगों ने एक साजिश के तहत आरोप लगाए। अब 86 साल की उम्र में ऐसे आरोप खुद की असलियत बयां करने को काफी है। आरोप लगाने वालों के खिलाफ कानूनी जंग के सवाल पर श्री तिवारी ने कहा कि लोग जो चाहें कहें, उन्हें किसी से कुछ भी नहीं कहना है। कहीं संघर्ष होता है तो जनसेवा करने वालों पर भी कुछ छींटे पड़ ही जाते हैं। सक्रिय राजनीति से संन्यास के सवाल पर कांग्रेसी नेता ने कहा कि वे महात्मा गांधी के शिष्य रहे हैं और जवाहर लाल नेहरू से उन्होंने बहुत कुछ सीखा है। फिर आजादी का संग्राम लड़ने के बाद से ही जनता की सेवा में लगे हैं। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया है। पहले तो कुछ दिनों तक यहीं रहकर आराम करना है। फिर नए साल में उत्तर प्रदेश की तरफ जाने का इरादा है। सभी के आशीर्वाद और दुआओं से शायद कुछ वर्ष और जी लूंगा। श्री तिवारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के 200 से अधिक गांवों के लोग उत्तराखंड में आने की मांग कर रहे हैं। इसकी वजह यही है कि इस राज्य का तेजी से विकास हुआ है और यूपी में लोग मायावती से आजिज आ चुके हैं। इस मांग के समर्थन विषयक एक सवाल पर श्री तिवारी ने कहा कि इसका फैसला तो देश की संसद को ही करना है। फिर भी देखा जनता की मांग पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इससे पहले तिवारी का देहरादून पहुंचने पर एयरपोट और गेस्ट हाउस में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने जोरदार स्वागत किया।

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