Thursday 19 November 2009

=शीतकाल के लिए बदरीनाथ धाम के कपाट बंद

फूल मालाओं से सजाकर मंदिर को दिया गया था भव्य स्वरूप बदरीनाथ,: भू-बैकुंठ धाम श्री बदरीनाथ के कपाट शीतकाल के लिए पूजा अर्चना के बाद आज बंद कर दिए गए। इस मौके पर पांच हजार से अधिक श्रद्धालु मौजूद थे। कपाट बंद होने से पहले मंदिर समेत पूरे पंचशिला क्षेत्र को फूल-मालाओं से सजाया गया। मंगलवार को ब्रह्म मुहूर्त में ही रावल केशव प्रसाद ने बदरीविशाल की महाभिषेक एवं अभिषेक पूजाएं शुरू कर दी थीं। दिन भर धार्मिक परम्पराओं के अनुरूप भगवान को बाल व राज भोग चढ़ाया गया। इसके उपरान्त विशेष पूजा कर बदरीविशाल की मूर्ति का फूलों से श्रृंगार किया गया और उन्हें माणा की कुंवारी कन्याओं के निर्मित ऊन की चोली को घी का लेप लगाकर पहनाया गया। अपराक्ष करीब तीन बजे बद्रीश पंचायत में स्थापित उद्धव और कुबेर की मूर्ति को गर्भगृह से बाहर लाया गया। फिर रावल केशव नंबूदरी ने स्त्री का रूप धारण करके महालक्ष्मी की मूर्ति को गर्भगृह में भगवान नारायण के साथ छ: माह के लिए यथास्थान विराजित किया। ठीक तीन बजकर चालीस मिनट पर बदरीनाथ धाम के कपाट मंत्रोच्चारण के साथ बंद कर दिए गए। इस मौके पर गाजे-बाजे के साथ गढ़वाल स्काउट की भक्तिमय संगीत ने श्रद्धालुओं को भक्ति सागर में डुबो दिया। बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के अवसर पर परम्पराओं को निभाते हुए सेना की तरफ से ब्रिगेडियर एके बडोनी के निर्देशन में गांधी घाट पर श्रद्धालुओं के लिए नि:शुल्क भंडारे का आयोजन किया गया। इस अवसर पर चार धाम यात्रा विकास परिषद के अध्यक्ष सूरत राम नौटियाल, मंदिर समिति के अध्यक्ष अनुसूया प्रसाद भट््ट, धर्माधिकारी जेपी सती सहित हजारों श्रद्धालु उपस्थित थे।

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