Saturday 31 October 2009

उत्तराखंड की प्रो.आशा पांडे को 'लिजन दि ऑनर'

-फ्रांसिसी सरकार के सर्वोच्च नागरिक सम्मान है 'लिजन दि ऑनर' -भारत-फ्रांस रिश्तों को प्रगाढ़ करने व फ्रैंच भाषा के प्रसार के लिए होंगी सम्मनित -उत्तराखंड के अल्मोड़ा के पाटिया गांव की मूल निवासी हैं डॉ. पांडे देहरादून, जागरण संवाददाता: उत्तराखंड की प्रो. आशा पांडे को फ्रांस सरकार ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'लिजन दि ऑनर' से सम्मानित करने का फैसला किया है। प्रो. पांडे को यह सम्मान भारत-फ्रांस रिश्तों को प्रगाढ़ करने तथा राजस्थान में फ्रैंच भाषा के प्रसार के लिए प्रदान किया जाएगा। फ्रांस सरकार इससे पहले इस सम्मान से भारतीय फिल्म निर्देशक सत्यजित रे, सितार वादक पंडित रविशंकर, अभिनेता अमिताभ बच्चन और पर्यावरणविद आरके पचौरी जैसे लोगों को भी नवाज चुकी है। मूल रूप से कुमाऊं के अल्मोड़ा जनपद के पाटिया गांव की निवासी प्रो. आशा पांडे का जन्म देहरादून के क्लेमनटाउन में हुआ। प्रो. पांडे वर्तमान में राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर में ड्रामाटिक्स विभाग की अध्यक्ष व यूरोपियन स्टडीज विभाग में प्रोफेसर हैं। प्रो. पांडे के पति अशोक पांडे 1973 बैच के आईएएस अफसर है तथा इन दिनों राजस्थान के मुख्य चुनाव आयुक्त हैं। प्रो.आशा पांडे जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में फ्रैंच भाषा के पहले बैच की पोस्ट ग्रेजुएट हैं। उन्होंने जेएनयू से ही पीएचडी की उपाधि भी प्राप्त की है। प्रो. आशा पांडे 1977 में विवाह के बाद से ही राजस्थान में रह रहीं हैं। उस वक्त उनके पति अशोक पांडे, टोंक जनपद के डीएम थे। 1982 में डॉ.पांडे ने इंडो-फ्रैैंच कल्चरल सोसायटी का गठन किया और फ्रैैंच भाषा को पढ़ाना शुरू कर दिया। बाद में फ्रैंच भाषा में डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किए गए। डा. पांडे के प्रयास से आज राजस्थान में सैकड़ों संस्थान फ्रांसीसी भाषा के पाठ्यक्रम चला रहे हैं। सर्वोच्च फ्रांसीसी सम्मान पाने से प्रसन्न डा.आशा पांडे ने बताया कि उन्हें इस बात की खुशी है कि उन्हें वह सम्मान दिया जा रहा है जो इसके पहले भारत के अति विशिष्ट लोगों को प्रदान किया गया है। उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले फ्रांसीसी दूतावास के अधिकारी उनका बायोडाटा ले गए थे, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि उन्हें 'लिजन दि ऑनर' दिया जाने वाला है। डॉ. आशा पांडे ने बताया कि उनके पिता रेवती बल्लभ पांडे देहरादून के क्लेमनटाउन में भारतीय सेना की नेशनल डिफेंस अकादमी में थे। जब यह अकादमी पुणे खडग़वासला स्थानांतरित हो गई तो उनका परिवार भी खडग़वासला चला गया। डॉ. आशा पांडे की प्राथमिक शिक्षा वहीं के केंद्रीय विद्यालय में हुई। उनके भाई रिटायर्ड विंग कमांडर पीसी पांडे अब भी उत्तराखंड के अल्मोड़ा के पांडेखोला में रहते हैं। --

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