Saturday 12 September 2009

गरीबी व लाचारी से हारा कोली

-निठारी कांड में सुरेन्द्र को सजा पचा नहीं पा रहे हैं मंगरोखालवासी मौलेखाल(अल्मोड़ा):बहुचर्चित निठारी कांड के अभियुक्त मोहिन्दर सिंह पंधेर को बरी किये जाने व सुरेन्द्र कोली की सजा बरकरार रखने के इलाहाबाद न्यायालय के आदेश को मंगरोखालवासी पचा नही पा रहे हैं। ग्रामीणों ने कहना है कि सुरेन्द्र की लाचारी व उसकी गरीबी आज उसकी दुश्मन बन गयी है। न्यायालय के आदेश के बाद आज मंगरोखाल में सन्नाटा पसरा हुआ है। मोहिन्दर पंधेर की रिहाई की खबर किसी के गले नही उत्तर रही है। शुक्रवार को इलाहाबाद न्यायालय द्वारा निठारी कांड के आरोपी मोहिन्दर पंधेर को रिहा करने व सुरेन्द्र कोली को सजा देने की खबर सुरेन्द्र के गांव मंगरोखाल में भी हवा की तरह फैली। न्यायालय के इस आदेश के बाद हर कोई स्तब्ध था कि आखिर मोहिन्दर सिंह को बरी क्यों कर दिया गया जबकि सुरेन्द्र की सजा बरकरार रखी गयी है। मंगरोखाल निवासी 26 वर्षीय प्रकाश का कहना है कि सुरेन्द्र को जानबूझाकर जाल में फंसाया गया है। आज वह अपनी लड़ाई भी नही लड़ पा रहा है। क्षेत्र पंचायत सदस्य जोगा सिंह भी सुरेन्द्र की गरीबी से आहत दिखायी दिये। उनका कहना है कि सुरेन्द्र एक मिलनसार स्वभाव का मेहनती युवक था। लेकिन निठारी कांड में उसका नाम आने के तीन साल बाद भी आज इस बात पर कोई यकीन करने को तैयार नही है। सुरेन्द्र की पत्नी शान्ति का भी बुरा हाल है। घर में दो छोटे छोटे बच्चों का जैसे तैसे गुजारा कर रही शान्ति का कहना है कि सुरेन्द्र की गरीबी का फायदा उठाकर मोहिन्दर सिंह ने उसे फंसा लिया है। आज उसके पास अपनी लड़ाई लडऩे के लिये एक अदद वकील रखने के भी पैसे नही हैं। शान्ति का कहना है कि अगर सुरेन्द्र दोषी है तो उसे इस राह पर लाने वाले सभी लोंगों की बराबर की सजा मिलनी चाहिये। फिर अकेले सुरेन्द्र को ही क्यों फंसाया जा रहा है। लाचार व गरीब शान्ति देवी के घर में आज भी खाने पीने के सामान का टोटा है। पिछले तीन सालों से शान्ति कानून पर विश्वास लगा न्याय की उम्मीद कर रही है। लेकिन आज उसका विश्वास कानून से उठ चुका है। शान्ति ने साफ शब्दों में कहा कि अगर उसका पति दोषी है तो उसे सजा मिलनी चाहिये। लेकिन उसने यह आरोप भी लगाया कि सुरेन्द्र कोली के जांच में बस खानापूर्ति कर सम्पन्न लोंगों को बचाने की कोशिश की जा रही है।

1 comment:

  1. I think, it is true that rich person buying the Justice. The poor person not able to fight for Justice.

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