Tuesday 22 September 2009

आयुर्वेद विद्यापीठ का सपना अधूरा

-गुप्तकाशी में वर्ष 1947 में अस्तित्व में आया था यह केन्द्र -बीएएमएस आयुर्वेदाचार्य कोर्स शुरुआत के दो साल बाद ही हो गया बंद -वर्तमान में केवल फार्मेसिस्ट कोर्स का हो रहा संचालन रुद्रप्रयाग पहाड़ में जड़ी बूटी के पर्याप्त भंडार के मद्देनजर आयुर्वेद चिकित्सा को बढावा देने के उद्देश्य से केदारघाटी के केन्द्रबिन्दु गुप्तकाशी में वर्ष 1947 में स्थापित आयुर्वेदिक विद्यालय विद्यापीठ साठ वर्ष बीतने पर भी उद्देश्यों पर खरा नहीं उतर पाया है। विद्यापीठ में स्थापना के वक्त शुरू किया गया बीएएमएस कोर्स आर्थिक मंदी के चलते दो वर्ष बाद ही बंद हो गया और आज तक दोबारा शुरू नहीं किया जा सका है। वर्तमान समय में यहां दो वर्षीय फार्मेसिस्ट कोर्स संचालित हो रहा है, लेकिन इसकी हालत भी बदतर है। आजादी के वक्त अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय क्षेत्र में जड़ी-बूटी के पर्याप्त भंडार को देखते हुए आयुर्वेद चिकित्सा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गुप्तकाशी में आयुर्वेदिक विद्यालय स्थापित किया गया था, लेकिन शुरुआती दौर से ही सरकारी उपेक्षा के चलते स्थापना से लेकर अब तक विद्यालय अपनी पहचान नहीं बना सका है। स्थापना के समय यहां पर आयुर्वेदाचार्य (बीएएमएस) पाठ्यक्रम व फार्मेसिस्ट कोर्स शुरू किया गया था, लेकिन आर्थिक मंदी के चलते दो वर्ष के भीतर ही आयुर्वेदाचार्य पाठ्यक्रम बंद कर दिया गया। उस समय यहां अध्ययनरत छात्रों को ऋषिकुल हरिद्वार में शिफ्ट किया गया। वर्ष 1990 में यहां संचालित फार्मेसिस्ट कोर्स बंद हो गया था, जो वर्ष 2005 में फिर से खुला और अब निर्बाध संचालित हो रहा है। वर्तमान में यहां संचालित हो रहे भैषज्यकल्पक (फार्मेसी) की प्रतिवर्ष पचास सीट निर्धारित हैं। पूर्व में यहां पर प्रति वर्ष चालीस सीट निर्धारित थी, राज्य बनने से पहले 2080 व राज्य बनने के बाद दौ सौ छात्र-छात्रा यहां से फार्मेसिस्ट की डिप्लोमा ग्रहण कर चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूडी ने यहां इस शिक्षा सत्र से बीएएमएस पाठयक्रम पुन: शुरू करने की घोषणा की थी, लेकिन अब तक इस घोषणा पर भी अमल नहीं हो सका है। हालांकि, भवन निर्माण के लिए भैसारी व चुन्नी गांवों में भूमि चयनित कर ली गई है। इस बाबत, विद्यालय के प्राचार्य डा. हर्षवर्धन बेंजवाल का कहना है कि बीएएमएस कक्षाओं के संचालन के लिए मुख्यमंत्री की घोषणा के मुताबिक कार्रवाई चल रही है।

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