Saturday 26 September 2009

-'होम स्टे' से संवरेगी पहाड़ों की आर्थिकी

-पीपीपी मोड में निजी संस्था का हाथ थामने की तैयारी -ट्रेकिंग रूट्स व पर्यटक स्थलों के नजदीकी गांव योजना से जुड़ेंगे -देवभूमि की संस्कृति से सीधे जुड़ सकेंगे देशी-विदेशी पर्यटक देहरादून, सरकार की कोशिश रंग लाई तो पर्यटन महकमे की महत्वाकांक्षी 'होम स्टे' योजना ग्रामीणों की आर्थिक सेहत दुरुस्त करेगी। साथ ही देवभूमि की संस्कृति से देशी-विदेशी पर्यटक रू-ब-रू होंगे। इस योजना को पीपीपी मोड में चलाने को प्रतिष्ठित संस्था कोटक महेंद्रा का दामन थामने की तैयारी है। उत्तराखंड में इको टूरिज्म को बढ़ावा देने और इससे स्थानीय लोगों के आमदनी के साधन मजबूत करने के लिए होम स्टे योजना पर जल्द अमल होने के आसार हैं। सरकार के निर्देश पर उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (यूटीडीपी) ने इस संबंध में प्रस्ताव शासन को सौंपा है। पर्वतीय क्षेत्रों में 123 ट्रेकिंग रूट्स व खूबसूरत पर्यटक स्थलों के नजदीकी गांवों को इस योजना के दायरे में लाया जाएगा। छह सौ से एक हजार गांवों को इसका फायदा मिल सकता है। पर्यटन मास्टर प्लान में ढांचागत सुविधाओं की पैरवी तो है, लेकिन अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के नाम पर प्रकृति से छेड़छाड़ की अनुमति नहीं दी जाएगी। लिहाजा, यह सोचा गया कि देवभूमि के गांवों में सादगी से रहन-सहन, उनकी संस्कृति को समझाने-बूझाने के लिए देश और विदेश के पर्यटक खुद गांवों तक पहुंचें। पर्यटकों को गांवों में प्रवास के दौरान आवास के साथ भोजन की सुविधा मिलेगी। आवासीय सुविधा गांवों में पारंपरिक भवनों में ही की जाएगी। इस योजना के लिए मोटे तौर पर जो खाका तैयार किया गया है, उसके मुताबिक प्रदेश के 123 ट्रैकिंग रूट्स, जंगलों व उच्च हिमालयी क्षेत्रों के गांव होम स्टे योजना से जुड़ेंगे। ग्रामीणों को अपने घरों को दुरुस्त करने के लिए तकरीबन तीन लाख रुपये तक लोन की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए स्थानीय लोगों और बैंक के बीच अनुबंध होगा। इसे वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना से जोडऩे पर भी मंथन किया जा रहा है, ताकि लोन देने में दिक्कतें पेश नहीं आएं। योजना के जरिए लोगों को आवासों की मरम्मत और उन्हें दुरुस्त रखने के लिए कम ब्याज दर पर आसान लोन मुहैया कराया जाएगा। इसमें एससी व एसटी को भी आरक्षण लाभ मिलेगा। सरकार से इस प्रस्ताव को हरी झांडी मिलने के बाद पर्यटन महकमा इस योजना में गांवों के चिन्हीकरण के साथ पंजीकरण के मानक तय करेगा। योजना को पीपीपी मोड में चलाने को इस क्षेत्र की दिग्गज कंपनी कोटक महेंद्रा से संपर्क साधा गया है। यह कंपनी अन्य प्रदेशों में भी होम स्टे योजना संचालित कर रही है। पर्यटन मंत्री मदन कौशिक के मुताबिक होम स्टे योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में आय के साधन बढेंगे और इको टूरिज्म को प्रमोट करने में सुविधा रहेगी। हिमाचल इस पैटर्न पर कदम आगे बढ़ा चुका है। उत्तराखंड भी इस दिशा में बढ़ेगा।

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