Thursday 17 September 2009

माध्यमिक शिक्षा में फिसड्डी उत्तराखंड

- इस राज्य में कुल नामांकन अनुपात है महज 55.55 फीसदी -पर्सपेक्टिव प्लान में अगली पांत में शामिल करने को बनेगी रूपरेखा -सौ फीसदी नामांकन के लक्ष्य को पाने में लग जाएगा एक दशक प्रदेश को माध्यमिक शिक्षा में सौ फीसदी नामांकन हासिल करने के लिए लंबी दौड़ लगानी पड़ेगी। इस मामले में पड़ोसी हिमाचल की बात छोडि़ए, बिहार, झाारखंड, उड़ीसा, गोवा, सिक्किम व तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश से भी उत्तराखंड फिसड्डी है। अब सूबे की जरूरत के मुताबिक पर्सपेक्टिव प्लान की कवायद चल रही है। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) में सौ फीसदी नामांकन का लक्ष्य पाने के लिए केंद्र सरकार ने डेडलाइन वर्ष 2016-2017 रखी है। इस लक्ष्य को पाने की होड़ में उत्तराखंड कई राज्यों से पिछड़ा है। तकरीबन एक जैसी विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले हिमाचल राज्य से इस मामले में उत्तराखंड काफी पीछे है। माध्यमिक स्कूलों में छात्रों के कुल नामांकन अनुपात (जीईआर) के आंकड़े यही गवाही दे रहे हैं। हिमाचल, केरल व पांडीचेरी राज्य सौ फीसदी जीईआर लक्ष्य पा चुके हैं। वर्ष 2011-12 तक असम, दमन व लक्षद्वीप भी इस लक्ष्य को हासिल कर लेंगे। आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, झाारखंड, सिक्किम व गोवा जैसे राज्य वर्ष 2016-17 तक यह मुकाम पाने में कामयाब रहेंगे। यह माना जा रहा है कि उत्तराखंड सौ फीसदी जीईआर वर्ष 2019-20 तक हासिल कर पाएया। प्रदेश के इस दौड़ में पीछे छूटने की वजह मौजूदा 55.55 फीसदी जीईआर है। तकरीबन 45 फीसदी छात्र-छात्राएं ड्राप आउट हैं या आठवीं कक्षा के बाद माध्यमिक स्कूलों तक पहुंच नहीं पा रहे हैं। 15-16 आयु वर्ग के किशोर व किशोरियों की हर साल माध्यमिक कक्षाओं में पहुंचने की रफ्तार दो फीसदी है। इसे हर वर्ष न्यूनतम पांच फीसदी की दर से बढ़ाया जाएगा। इन हालात में 2010 में 60, 2011 में 65 और 2012 में 70 फीसदी जीईआर होगी। स्कूलों में हर साल जीईआर की ग्रोथ पांच फीसदी रखने को पर्सपेक्टिव प्लान तैयार किया जा रहा है। नवंबर माह के अंत तक इसे अंतिम रूप देने की तैयारी है। जीईआर दो से पांच फीसदी करने के लिए स्कूलों में संसाधनों की बढ़ोत्तरी व शिक्षा की गुणवत्ता पर जोर रहेगा। मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे व शिक्षा सचिव डा. राकेश कुमार के निर्देशों के बाद महकमा इस प्लान को बेहतर ढंग से तैयार करने में जुटा है। माध्यमिक शिक्षा की सूरत निखारने को पहले चरण में जिले अपनी दिक्कतें चिन्हित करेंगे। इनके निराकरण और गुणवत्तापरक शिक्षा को फोकस कर वर्ष 2016 तक नया प्लान बनेगा। प्लान फुलप्रूफ रहे, इसके लिए जिलों में महकमे के लोगों को बाकायदा प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्लान में नए स्कूलों को खोलने पर भले ही जोर नहीं दिया जाए, लेकिन पुराने स्कूलों में प्रयोगशालाओंव उनके उपकरण, पुस्तकालयों, कंप्यूटर रूम, टायलेट््स व भवन निर्माण के साथ ही शिक्षकों के प्रशिक्षण जैसे जरूरत को तवज्जो मिलेगी। शिक्षा सचिव के मुताबिक राज्य की ओर से भेजे जाने वाले प्रस्ताव को अंतिम रूप भारत सरकार की संस्था एडसिल देगी।

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