Thursday 20 August 2009

-फर्जी डिग्र्री से प्रमोशन की कोशिश

सिंचाई विभाग के ग्यारह जूनियर इंजीनियर आए गिरफ्त में विभागाध्यक्ष और जांच अधिकारी का जवाब तलब जालसाजी की रिपोर्ट दर्ज कराने का आदेश देहरादून- फर्जी डिग्र्री के सहारे पदोन्नति पाने की कोशिश करने वाले सिंचाई विभाग के ग्यारह जूनियर इंजीनियर आखिरकार गिरफ्त में आ ही गए। शासन ने मामले में हीलाहवाली करने वाले विभागाध्यक्ष और जांच करने वाले एसई का जवाब तलब करने के साथ ही इंजीनियरों के खिलाफ जालसाजी की रिपोर्ट दर्ज कराने के निर्देश दिए हैैं। शासन स्थित सूत्रों ने बताया कि सिंचाई विभाग के ग्यारह जूनियर इंजीनियरों किशोरी लाल भट्ट, मंजीत नेगी, हरीश चंद्र नौटियाल, हरीराम भट्ट, जयेंद्र सिंह, विनोद प्रसाद डंगवाल, सुधीर कुमार ममगांई, राजेश कुमार, शिवराज जगूड़ी, राजेश नौटियाल व परशुराम ने बी.टेक की डिग्र्री पेश करते हुए सलेक्शन ग्र्रेड और सहायक अभियंता के पद पर प्रमोशन की मांग की थी। डिप्लोमा के आधार पर नौकरी में आने वाले इन इंजानियरों का कहना था कि यह डिग्र्री डिस्टेंस एजुकेशन के जरिए हासिल की गई है। सूत्रों ने बताया कि राजस्थान के सरदार नगर स्थित डीम्ड विवि आईएएसई की ओर से जारी इन डिग्र्रियों पर संदेह हुआ तो जांच अधीक्षण अभियंता डीके पचौरी को सौंपी गई। लंबे समय तक न तो जांच पूरी की गई और न ही कोई रिपोर्ट शासन को दी गई। बाद में शासन ने अपने स्तर से जांच करवाई तो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, इंदिरा गांधी मुक्त विवि और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद की ओर से बताया गया कि उक्त डीम्ड विवि बी.टेक डिग्र्री के लिए अनुमन्य नहीं है। सूत्रों ने बताया कि इसके बाद शासन ने मामले को गंभीरता से लिया है। जांच में हीलाहवाली करने पर अधीक्षण अभियंता श्री पचौरी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इसके साथ ही विभागाध्यक्ष सागर चंद को भी लापरवाही का दोषी मानते हुए स्पष्टीकरण मांगा गया है। सूत्रों ने बताया कि विभागाध्यक्ष सागर चंद को निर्देश दिए गए हैैं कि सभी ग्यारह जूनियर इंजीनियरों के खिलाफ जालसाजी करने के आरोप में भारतीय दंड संहिता की दफा 420 के तहत पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई जाए।

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