Tuesday 7 July 2009

-खामोश मौत की राह पर 'मौन साक्षी'

चंद्रशेख्रर आजाद ने दुगडडा के निकट एक वृक्ष पर गोली चलाकर बजाई थी क्रांति की रणभेरी -मौन साक्षी के तौर पर जाना जाता है यह पेड़ पेड़ गिरा, अब ठूंठ का संरक्षण करने को आतुर वन विभाग कोटद्वार(गढ़वाल), आजादी के मतवालों से जुड़ी यादों को सहेज कर रखने में हम कितने लापरवाह हैं, इसका अंदाजा पौड़ी गढ़वाल जिले में दुगड्डा-सेंधीखाल मार्ग पर नाथूपुर के निकट स्थित उस पेड़ की हालत को देखकर लगाया जा सकता है, जो कभी महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की यादों की गवाह था। आलम यह है कि संरक्षण के अभाव में यह वृक्ष जमींदोज होने की कगार पर है, लेकिन इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं। दुगड्डा के निकट नाथूपुर के रहने वाले क्रांतिकारी भवानी सिंह रावत के आग्रह पर वर्ष 1930 में चंद्रशेखर आजाद अपने साथियों रामचंद्र, हजारीलाल, छैल बिहारी, विशंबर दयाल के साथ यहां आए थे। यहां उन्होंने क्रांतिकारियों को शस्त्र प्रशिक्षण दिया था। प्रशिक्षण की समाप्ति पर जब साथियों ने आजाद से निशानेबाजी का कौशल दिखाने का आग्रह किया, तो उन्होंने इस पेड़ के एक छोटे से पत्ते पर निशाना साध अपनी पिस्टल से फायर किए। एक के बाद एक पांच गोलियां चलीं, लेकिन पत्ता हिला तक नहीं। साथी समझो कि बार-बार आजाद का निशाना चूक रहे हैं, छठा फायर किया, तो पत्ता हिला। पेड़ के निकट पहुंचकर पता चला कि सभी छह गोलियां पत्ते को भेदती हुई पेड़ पर लगी थीं। तब से यह पेड़ आजाद की यादगार बन गया। क्षेत्रवासी लंबे समय से इसे ऐतिहासिक धरोहर में शामिल करने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। नतीजतन, 12 मई 2006 को आंधी में वृक्ष का एक बड़ा हिस्सा टूट कर गिर गया। इसके बाद होश आया, तो पालिका परिषद व गणमान्य नागरिकों के आग्रह पर मई 2008 में एफआरआई देहरादून से पहुंचे एक दल ने यहां आकर पेड़ के नमूने लिए। दल ने पाया कि पानी व फंगस के कारण पेड़ का क्षरण हो रहा है। उस समय इस पेड़ के बचे हिस्से पर रासायनिक लेप की बात कही गई थी, लेकिन एक वर्ष गुजरने के बाद अब तक ऐसा नहीं किया गया है। --- कौन है दोषी कोटद्वार: वन विभाग ने इस ऐतिहासिक वृक्ष की समय रहते सुध नहीं ली। हालांकि, वृक्ष के निकट पार्क बनाकर क्षेत्र का सौंदर्यीकरण किया गया, लेकिन इसके संरक्षण की दिशा में कोई प्रयास नहीं किए गए। लैंसडौन वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी निशांत वर्मा ने बताया कि वृक्ष के अवशेष ठूंठ को संरक्षित करने को शेड का निर्माण कराया जा रहा है। साथ ही टूटे हुए हिस्से को निकट ही स्थित पार्क में सुरक्षित रखा गया है। वृक्ष के संरक्षण को विभाग एक वृहद योजना भी तैयार कर रहा है।

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