Tuesday 30 June 2009

=रिपोर्ट के बाद तय होगा स्टैंड

स्थायी राजधानी के मसले पर सदन में रिपोर्ट पेश होने के इंतजार में कांग्रेस देहरादून, स्थायी राजधानी के मसले पर कांग्रेस अपना स्टैैंड सदन में रिपोर्ट पेश होने के बाद ही तय करेगी। इससे पहले कांग्रेस के सांसदों, विधायकों व वरिष्ठ नेताओं की बैठक में रिपोर्ट की समीक्षा होगी, ताकि पार्टी के भीतर इस अहम मसले पर आम राय कायम हो सके। स्थायी राजधानी के मामले में अभी कांग्रेस नेताओं के सुर अलग-अलग हैैं। लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों ने इस मुद्दे पर अलग-अलग तरह से जनता के बीच संदेश दिया। हालांकि पौड़ी के सांसद सतपाल महाराज का मत चंद्रनगर (गैरसैैंण) को स्थायी राजधानी बनाने के पक्ष में हैैं। विधायकों की राय भी इस मामले में अलग-अलग है। पदाधिकारी भी स्थायी राजधानी को लेकर किसी एक नाम पर एकमत नहीं है। ऐसे में जो भी राय सामने आ रही है, उसे कांग्रेस नेताओं की व्यक्तिगत राय ही माना जा रहा है। अलबत्ता स्थायी राजधानी पर पार्टी का रुख साफ है। प्रदेश कांग्रेस शुरू से ही यह कह रही है कि इस मामले में किसी भी राय को तभी सुसंगत माना जा सकता है, जबकि स्थायी राजधानी के लिए गठित दीक्षित आयोग की रिपोर्ट का खुलासा हो जाए। प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य का स्थायी राजधानी के मामले में कहना है कि आयोग की रिपोर्ट का खुलासा होने के बाद उसकी समीक्षा की जाएगी। कांग्रेस विधान मंडल दल की बैठक में रिपोर्ट पर चर्चा होगी। इसके बाद पार्टी के सांसदों व वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक में रिपोर्ट पर विचार-विमर्श किया जाएगा। सभी अहम स्तरों पर बैठक व बातचीत के बाद ही कांग्रेस स्थायी राजधानी के मसले पर रुख को स्पष्ट करेगी। उन्होंने कहा कि प्रमुख विपक्षी दल के रूप में कांग्रेस अपनी जिम्मेदारी को बखूबी समझाती है। कांग्रेस ने स्थायी राजधानी पर 'लाइन आफ एक्शन' तो तय कर दिया है पर पार्टी के भीतर इस मामले में आम सहमति बनाना आसान नहीं होगा। बदले हालात में कांग्रेस के दिग्गज नेता केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री हरीश रावत को अपने पुराने अंदाज को बदलना पड़ सकता है। ऐसे में सबसे बड़ी समस्या दिग्गज नेताओं के बीच स्थायी राजधानी के मामले में संतुलन कायम करने की रहेगी। ऐसे में अगले महीने विधानसभा में पेश होने वाली राजधानी आयोग की रिपोर्ट से कांग्रेस में हलचल तेज हो सकती है। हालांकि स्थायी राजधानी पर सरकार की कोशिश सर्वदलीय सहमति का रास्ता अपनाने की है पर सियासी दृष्टि से नाजुक इस मुद्दे पर कांग्रेस समेत अन्य दलों को अपना बचाव भी करना पड़ेगा।

No comments:

Post a Comment