Thursday 11 June 2009

-पहाड़ी क्षेत्रों को नहीं पैकेज का लाभ

उत्तराखंड के मैदानी हिस्सों तक ही सिमटा औद्योगिक विकास केंद्र सरकार के विशेष औद्योगिक प्रोत्साहन पैकेज से उत्तराखंड भले ही एक औद्योगिक राज्य की श्रेणी में आ गया है पर इसका एक दूसरा पहलू यह भी है कि औद्योगिकीकरण का यह लाभ पूरे राज्य को समान रूप से नहीं मिल सका। यह विकास सिर्फ मैदानी हिस्से तक ही सिमट गया। राज्य गठन से पहले उद्योग विभाग तथा यूपीएसआईडीसी ने 2118.08 एकड़ क्षेत्र में 47 वृहद तथा मिनी औद्योगिक आस्थान स्थापित किए पर यहां सिर्फ कहने को ही औद्योगिक इकाइयां स्थापित हो सकी थी। राज्य गठन के बाद सिडकुल ने 10389.569 एकड़ क्षेत्र में 65 औद्योगिक आस्थान स्थापित किए। उत्तराखंड में औद्योगिक विकास को गति देने के लिए केंद्र ने एक विशेष पैकेज दिया पर इसका लाभ पर्वतीय जनपदों तक नहीं पहुंच सका। इस राज्य के हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर के अलावा नैनीताल व देहरादून जनपद के मैदानी हिस्सों तक ही सीमित रहा। इसके बाद सूबे की सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों के लिए विशेष एकीकृत औद्योगिक प्रोत्साहन नीति-2008 लागू की है। इसके तहत सीमांत जनपदों पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, चमोली, चंपावत और रुद्रप्रयाग को श्रेणी-ए में रखा गया है। पौड़ी, टिहरी, अल्मोड़ा, बागेश्वर और नैनीताल तथा देहरादून के पर्वतीय क्षेत्रों को बी श्रेणी में रखा है। इसके बावजूद पर्वतीय क्षेत्र में उद्योग स्थापित करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। इंसेट जनपद उद्योग निवेश रोजगार नैनीताल 5 1234.11 3186 यूएस नगर 94 4459.21 25440 देहरादून 12 256.44 3309 पौड़ी 1 48.94 663 हरिद्वार 34 5668.23 26164 बागेश्वर 1 10.15 460 योग 147 11677.11 59222 (निवेश लाख रुपयों में)

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