Saturday 27 June 2009

=बिल गेट्स के साथ भोज करेंगे परमवीर

-माइक्रोसॉफ्ट ने इन्नोवेटिव टीचर अवार्ड से नवाजा -सौरमंडल के रहस्य खोलता है कठैत का प्रोजेक्ट एनिमेशन थ्रू -आज रवाना होंगे दिल्ली से गांव के बच्चों को कठिन साफ्टवेयर्स के जरिए कंप्यूटर सिखाना आसान नहीं था। उनके लिए अलग साधन विकसित करने की जरूरत है। यही मेरे जीवन का उद्देश्य है। यह कहना है नेशनल एजूकेशनल कंप्यूटिंग कांफ्रेंस (एनईसीसी), वाशिंगटन में देश का प्रतिनिधित्व करने जा रहे उत्तराखंड के शिक्षक परमवीर सिंह कठैत का। इस दौरान श्री कठैत प्रसिद्ध माइक्रोसाफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स के साथ रात्रिभोज भी करेंगे। निमंत्रण से उत्साहित कठैत ने कहा कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि बिल गेट्स के साथ बैठने का मौका मिलेगा। उत्तराखंड सरकार ने 2003 में ग्र्रामीण छात्रों को कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए माइक्रोसाफ्ट के साथ करार किया था। इसी करार के तहत टिहरी में शिक्षण कार्य करने गए राजीव गांधी नवोदय विद्यालय, देहरादून के सामाजिक विज्ञान के सहायक अध्यापक परमवीर कठैत को कुछ दिन बाद लगा कि कठिन साफ्टवेयर्स के माध्यम से छात्रों को समझाना मुश्किल कार्य है। उनकी जरूरत के मुताबिक कुछ प्रोजेक्ट तैयार किए जाने चाहिए। इसी दौरान उन्होंने एक प्रोजेक्ट 'एनिमेशन थ्रू' विकसित किया। इस प्रोजेक्ट की सहायता से छात्र घर बैठे ग्रह-नक्षत्रों के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं। श्री कठैत ने बताया कि उनका प्रोजेक्ट सौरमंडल के रहस्यों को खोलता है। इसे इस प्रकार तैयार किया गया है कि छात्र इसे आसानी से प्रयोग कर सकें और समझा सकें। उन्होंने कहा कि अब उनका उद्देश्य ग्र्रामीण छात्रों के लिए साफ्टवेयर्स को आसान बनाना है। माइक्रोसाफ्ट ने उन्हें इस प्रोजेक्ट के लिए विश्व स्तरीय 'इन्नोवेटिव टीचर्स अवार्ड' से नवाजा है। वाशिंगटन में 28 जून से एक जुलाई तक चलने वाली नेशनल एजूकेशनल कंप्यूटिंग कांफ्रेंस (एनईसीसी) में विश्वभर के तकनीकी विशेषज्ञ, शिक्षक व कंप्यूटर के क्षेत्र में कार्य करने वाले लोग जुटेंगे। इस सेमिनार का उद्देश्य विचारों, शिक्षा व तकनीकों का आदान प्रदान करना है। भारत से अकेले परमवीर सिंह कठैत इस सेमिनार में शामिल हो रहे हैैं। इस उपलब्धि पर परमवीर सिंह कठैत का कहना है उनके प्रोजेक्ट को माइक्रोसाफ्ट के जरिए इतनी प्रसिद्धि मिली है। फिलहाल वे ग्रीन हाउस, एसिड रेन और मौसम में आ रहे बदलावों पर कार्य कर रहे हैैं। उन्होंने इस प्रकार की जानकारियां एकत्र की है, जो गूगल जैसे सर्च इंजन पर भी उपलब्ध नहीं हैं।

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