Friday 29 May 2009

-कुदरत का तोहफा ही नहीं सहेज पा रहा उत्तराखंड

-उत्तराखंड से गुम हो गई आर्किड की 28 प्रजातियां राजाजी नेशनल पार्क से सालम मिसर जैसा आर्किड भी नदारद उत्तराखंड में सैकड़ों प्रकार के दुर्लभ पुष्प और औषधीय पेड़-पौधे पाए जाते हैं। इन्हें देखने के लिए देश-विदेशों से लोग यहां आते हैं लेकिन लगता है कि कुदरत के इन तोहफों पर बदलते समय की नजर लग गई है। ग्लोबल वार्मिंग, बदलते वातावरण और प्राकृतिक आवास के विघटन की वजह से उत्तराखंड के कुदरती तोहफे में से एक आर्किड खोने की कगार पर है। शाही खुशबू वाला फूल कहलाने वाले आर्किड विशेष प्रकार का पौधा होता है जो पारिस्थतिकी तंंत्र में अहम भूमिका निभाता है। इस पौधे को विशेष देखभाल की जरूरत होती है। इस फूल दुनिया में 18 हजार प्रजातियां पाई जाती हैैं जिनमें से एक हजार प्रजातियों के साथ भारत, चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। आर्किड उत्तराखंड में आर्किड की 200 प्रजातियां पाई जाती हैैं। उत्तराखंड आर्किड विविधता की दृष्टि से देश में सातवें स्थान पर है लेकिन भारतीय वन्य जीव संस्थान के वैज्ञानिकों के हालिया सर्वेक्षण चौंकाने वाले हैं। इनके अनुसार उत्तराखंड में इनमें से 28 प्रजातियां लुप्तप्राय हो चुकी हैैं। वैसे 13 आर्किड प्रजातियां पहले से ही आईयूसीएन की रेड डाटा लिस्ट में हैैं। डब्लूआईआई के आर्किडोलॉजिस्ट डॉ. जीएस रावत का कहना है कि जंगलों में सभी प्रजातियो को ढूंढने के दौरान उन्हें केवल 49 प्रजातियां ही मिलीं। यहां तक की राजाजी नेशनल पार्क में पाया जाने वाला सालम मिसर जैसा आर्किड भी अब दिखाई नहीं देता। आर्किड उत्तराखंड में गोरी घाटी में बहुतायत में पाया जाता है इसके अलावा सनदेव, नैनीताल, हिंडोलाखाल, मंडल, नागटिब्बा और असी गंगा घाटी आर्किड बहुल क्षेत्र हैैं। उनका कहना है कि उत्तराखंड में 12 आर्किड प्रजातियों का व्यापार होता है। आर्किड को लेकर डब्लूआईआई में एक अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार भी हुई थी जिसमें डॉ.जीएस रावत और डॉ. जेएस जलाल ने उत्तराखंड में आर्किड की स्थिति पर प्रकाश डाला था। डॉ. रावत का कहना है कि सरकार को प्रदेश में आर्किड के संरक्षण के लिए आर्किड संरक्षण क्षेत्रों का निर्माण करना चाहिए ताकि अस्तित्व के लिए संघर्ष करती इस दुर्लभ कुदरती नेमत को बचाया जा सके। बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के निदेशक डॉ. एचजे चौधरी का कहना है कि वैज्ञानिक संस्था होने के नाते वह प्रदेश में आर्किड के व्यवसायिक उत्पादन में सहयोग के लिए तैयार हैैं लेकिन संकटग्रस्ट प्रजाति होने की वजह से व्यवसायिक उत्पादन के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति लेनी होगी। कैंसर समेत अनेक रोगों की दवा है आर्किड आर्किड का इस्तेमाल फूलों के व्यापार में ही नहीं स्थानीय चिकित्सा पद्धतियों में भी होता है। आर्किड का इस्तेमाल चीनी चिकित्सा पद्धतियों में ज्यादा होता है। इसकी एक प्रजाति से बनने वाली शिन्हू दवा, अपच, दस्त, बुखार को दूर करने और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में असरदार होती है। चीनी लोग इसे पेट व फेफड़ों के कैंसर के इलाज में भी इस्तेमाल करते हैैं। आर्किड से हाइपरटेंशन, सिरदर्द, आधाशीशी आदि विभिन्न रोगों का इलाज भी किया जाता है।

1 comment:

  1. Harish Singh Mehta30 May 2009 at 18:34

    This is really a bad news for us. Our government should take effective steps towards it.

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