Tuesday 26 May 2009

कुमाऊं में लोक कला एवं संस्कृति का सुधलेवा कोई नहीं

नैनीताल लोक संस्कृति एवं कला के क्षेत्र में तमाम मंचों पर सफलता के झंडे गाड़ चुके कुमाऊं में लोक कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देने के प्रति सरकारी उदासीनता लोक कलाकारों का उत्साह ठंडा कर रही है। शासन की उदासीनता का आलम यह है कि बीते वित्तीय वर्ष कुमाऊं मंडल में जिला योजना के तहत अनुमोदित धनराशि में से एक पाई भी आवंटित नहीं हो सका। विभाग के अधिकांश दफ्तर प्रभारी व्यवस्था के कारण संचालित हो रहे हैं। राज्य में कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में असीम संभावनाएं छिपी हैं। प्रख्यात लोक गायक गोपाल बाबू गोस्वामी, हीरा सिंह राणा, कबूतरी देवी, ललित मोहन जोशी, प्रकाश रावत जैसे लोक कलाकार कुमाऊं की संस्कृति के वाहक बने हैं। इन कलाकारों ने अपने दम पर सफलता की इबारत लिखी है। इसके अलावा पंजीकृत व गैर पंजीकृत सांस्कृतिक दल कुमाऊं की विविध सांस्कृतिक छटा का प्रचार कर रहे हैं, लेकिन शासन का लोक संस्कृति एवं कला के संरक्षण व संवर्धन के प्रति रवैया सकारात्मक नहीं दिखाई देता। इसकी बानगी सरकारी आंकड़े बयां कर रहे हैं। मंडल के सभी छह जिलों में वित्तीय वर्ष 2008-09 की जिला योजना के तहत कला एवं संस्कृति विभाग द्वारा 30.61 लाख की धनराशि अनुमोदित की गई, लेकिन वित्तीय वर्ष खत्म होने के बाद भी यह राशि अवमुक्त नहीं हुई। विभाग के अधीन अभिलेखागार, पुरातत्व, संग्रहालय, संगीत केंद्र व लोक कला संस्थान जैसी इकाईयां कार्यरत हैं। इनके माध्यम से राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय महत्व के अवसरों पर पंजीकृत सांस्कृतिक दलों को कार्यक्रम आवंटित किए जाते हैं। उधर कई नामी सांस्कृतिक दल सरकारी सुविधाओं के बगैर लोक कलाकारों को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान कर रहे हैं। तमाम गैर सरकारी संगठन भी संस्कृति एवं लोक कला के क्षेत्र में कार्यरत हैं। बावजूद इसके कुमाऊं में सांस्कृतिक आयोजनों के प्रति उदासीनता बनी है।

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