Wednesday 29 April 2009

बलिया नाला: 22 करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार

जेएनएनयूआरएम योजना में रखा गया नाला, अब ब्रेबरी पुल तक बनेगा -भू-गर्भीय अस्थिरता जरूर, लेकिन नैनीताल के खतरे से इंजीनियरों ने किया इंकार हल्द्वानी: नैनीताल झाील से निकलने वाले बलिया नाले की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनकर तैयार हो गई है। जवाहर लाल नेहरू ग्र्रामीण शहरी विकास योजना (जेएनएनयूआरएम) के तहत अधबने नाले को पूरा बनाने के लिए करीब 22 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। इसमें धसाव की बात को स्वीकारी है, लेकिन किसी भी बड़े खतरे की आशंका से इंकार किया है। अब यह प्रोजेक्ट आईटीआई रुड़की और शासन दोनों को भेजा जायेगा। नैनीताल झाील से निकलने वाला बलिया नाला अंग्र्रेजों के समय का है। 2004 में यह सिंचाई विभाग ने करीब एक किलोमीटर तक साइड और तल पक्का करा दिया था। लेकिन अभी हाल में नाले के इर्द-गिर्द कुछ आबादी वाले स्थानों पर भू-स्खलन और जगह-जगह कटाव की शिकायतें मिली। जिस पर भाजपा विधायक खडग़ सिंह बोरा ने शासन को पत्र लिखकर चिंता जताई और एक किमी हिस्से की तरह ही पूरे नाले को पक्का करने की सिफारिश भी की। शासन ने उस पर तत्काल सिंचाई विभाग से डीपीआर मांगी। जिसे बनाकर विभागीय इंजीनियरों ने तैयार कर दिया है। मुख्य अभियंता उत्तर एबी पाठक ने बताया कि तैयार हुए प्रोजेक्ट के अनुसार दो किमी तक यानि ब्रेबरी पुल तक नाले की साइडें और तल दोनों ही आरसीसी पक्के किए जायेंगे। इस पर 22 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है। डीपीआर जल्द ही रुड़की आईआईटी व शासन को भेजी जायेगी। श्री पाठक ने बताया कि पूर्व बने नाले की गुणवत्ता में कहीं कोई शंका नहीं है। इसकी पुष्टि आईआईटी रुड़की की इंजीनियर्स टीम कर चुकी है। यही टीम पूर्व में ही साफ कर चुकी है कि यह क्षेत्र अत्यंत अस्थिर है और तीव्र ढाल वाला है। यहां पहाड़ कमजोर होने के कारण भू-धसाव से छुटपुट क्षति होना स्वाभाविक है। श्री पाठक ने बताया कि इंजीनियर्स टीम ने जब 2004 में इस नाले को एक किमी तक बनाया था, उसी समय ही उन्होंने पूरा नाला बनाने की सिफारिश की थी। लेकिन रूड़की की इंजीनियर्स टीम ने तब मना कर दिया। लेकिन जिस तरह नाले के ऊपर पहाड़ पर आबादी बढ़ी और बसी है, उससेे यह अस्थिरता और बढ़ गई है। बावजूद उन्होंने अधीक्षण अभियंता सिंचाई नैनीताल से दौरा करके रिपोर्ट मांगी थी, जिसमें सामान्य भू-धसाव की बात सामने आई लेकिन खतरा जैसी कोई बात नहीं है। इंसेट::::::::::::::::: दो ग्र्रामों को शिफ्ट करने की सिफारिश हल्द्वानी: सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता उत्तर एबी पाठक का कहना है कि बलिया नाले के ऊपर पहाड़ पर हरिनगर एक व हरिनगर दो छोटे गांव बसे हुए हैैं। यह दोनों गांव अवैध हैैं। इन गांव में रहने वाले लोगों का पानी और सीवर सभी पहाड़ में ही समा रहा है। इसीलिए पहाड़ से धीरे-धीरे भू-स्खलन हो रहा है। जबकि इंजीनियर्स पहाड़ को पहले ही कमजोर बता चुके हैैं और इन गांव को कहीं अन्यत्र बसाने की सिफारिश कर चुके हैैं। अगर यह हट जाते हैैं और यहां प्रशासन वनस्पति उगा देता है तो कटाव की समस्या कम हो जायेगी। रही बात नाले की मरम्मत की तो झाील विकास प्राधिकरण और विभाग से पांच साल में एक भी रुपया नहीं मिला। अब जाकर पांच लाख रुपये मिले हैैं जिससे सफाई और जहां-तहां मरम्मत करा दी गई है।

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