Tuesday 17 March 2009

करोड़ों खर्च, फिर भी गुरुजी का टोटा

Mar 17, देहरादून। प्रदेश के सात राजीव गांधी नवोदय विद्यालयों के पास करोड़ों की लागत से बने भवन तो हैं, लेकिन पढ़ाने के लिए गुरुजी नहीं हैं। डेढ़ हजार से ज्यादा छात्र-छात्राओं की पढ़ाई डेपुटेशन पर कार्यरत एक तिहाई शिक्षकों के भरोसे है। दूरदराज के ग्रामीण इलाकों के बच्चों को अच्छी और गुणवत्तापरक माध्यमिक शिक्षा देने की योजना के तहत हर जिले में 11 करोड़ की लागत से आवासीय सुविधा युक्त राजीव गांधी नवोदय विद्यालय स्थापित करने की योजना शुरू की गई थी। इसके तहत अब तक सात जिलों देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ व चंपावत में विद्यालय खोले जा चुके हैं। टिहरी जिले में राजीव गांधी नवोदय विद्यालय भवन निर्माणाधीन है। राज्य में नई भाजपानीत सरकार के सत्ता संभालने के बाद शेष पांच जिलों उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर व ऊधमसिंहनगर में नवोदय विद्यालय की तर्ज पर श्यामाप्रसाद मुखर्जी अभिनव विद्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। भवन निर्माण पर करोड़ों रुपये बहाकर बनाए गए नवोदय विद्यालयों में पढ़ाई के हाल बेहाल हैं। बगैर मुखिया के चल रहे विद्यालयों में गुरुजी का टोटा है। शिक्षा की गुणवत्ता के मौजूदा हालत यह है कि वेतन व अन्य मदों पर प्रति वर्ष करीब एक करोड़ खर्च करने के बावजूद प्रधानाचार्य, पीजीटी व टीजीटी के करीब डेढ़ सौ पदों में एक पर भी स्थायी नियुक्ति नहीं है। डेपुटेशन के सहारे विद्यालयों को हांका जा रहा है। अंग्रेजी व हिंदी दोनों माध्यम में पढ़ाई के लिए पात्र शिक्षक नियुक्त नहीं किए गए हैं। शिक्षा महकमे में कार्यरत शिक्षक ही डेपुटेशन पर लिए गए हैं। मानकों के मुताबिक प्रत्येक नवोदय विद्यालय में एक प्रधानाचार्य, नौ पीजीटी व 12 टीजीटी की नियुक्ति की जानी है। दून स्थित विद्यालय में 353 छात्रसंख्या है, जबकि आठ पीजीटी व 12 टीजीटी कार्यरत हैं। हरिद्वार में छात्रसंख्या 316, छह पीजीटी व 11 टीजीटी हैं। पौड़ी में 193 विद्यार्थियों के लिए सिर्फ एक टीजीटी तैनात है। चंपावत में 164 छात्रसंख्या पर एक पीजीटी व एक टीजीटी, पिथौरागढ़ में 225 छात्रसंख्या के लिए एक पीजीटी व एक टीजीटी और अल्मोड़ा में 87 छात्रसंख्या के बावजूद एक भी शिक्षक नहीं है। कामचलाऊ तरीके से पढ़ाई कराई जा रही है। स्थायी नियुक्ति नहीं होने व आवासीय सुविधा की वजह से परिसर में रहने की बाध्यता के चलते डेपुटेशन में कम शिक्षक ही रुचि ले रहे हैं। छात्रावासों में नियमित वार्डन नहीं हैं। महकमे ने एक बार फिर प्रधानाचार्यो व शिक्षकों की कमी पूरी करने के लिए डेपुटेशन पर तैनाती की प्रक्रिया शुरू की है। सरकार ने स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति पर फिलहाल चुप्पी साधी हुई है।

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