Sunday 15 March 2009

बच्चों ने घर की देहरियों पर बिखेरे फूलपहाड़ में विभिन्न जगहों पर धूमधाम से मनाया गया फूल संक्रांति का पर्व अगस्त्यमुनि। जिले में फूल संक्रांति का पर्व धूमधाम के साथ मनाया गया। चैत्र मास की पहली सुबह ने फूलपर्व (फूलदेई) के साथ घरों में दस्तक दी। छोटे-छोटे बच्चों ने तड़के घर-घर जाकर देहरियों पर फूल बिखेरे।चैत्र के आगमन के साथ ही पहाड़ में त्योहारों की शुरुआत हो जाती है। इस मास बुरांस लकदक होकर खिल उठते हैं। लोक नृत्य पूरे शबाब पर होता है। ढोल दमाऊ वादक चैती गीतों को गाते गांव-गांव में घूमकर बेटियों को मायके की कुशलता और मायके आने का न्यौता देते हैं। इसलिए इस महीने को 'नचदा मैना' भी कहते हैं। चैत्र की बसंती बयार में बच्चों का प्रिय त्यौहार सबसे पहले दस्तक देता है। 'फुलदेई फुलदेई छ6मा देई..., जै-जै घोगा माता 3यंूली का फूल' के स्वरों में घर-घर की देहरियों पर बच्चे फूल बिखेरने के साथ अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हैं। क्षेत्र में फूलों का यह पर्व आठ दिन चलता है। मान्यता है कि फूलों के साथ नए साल की शुरुआत करें, तो लोग फूलों की तरह महकते रहेंगे और उनके जीवन में फूलों के समान हर्ष और उल्लास छाया रहेगा। घोगा माता को फूलों की देवी मानकर पूजा जाता है। बच्चों में दिखा खासा उत्साहगोपेश्वर। चैत्र मास के फूल संक्रांति फूलदेही पर शनिवार को नन्हें-मुन्ने बच्चों ने घरों की देहली पर फूल डालकर खुशहाली की कामना की। बदले में लोगों ने बच्चों को गुड, चावल, मिठाई और पैसे दिए। गोपेश्वर गांव सहित चमोली जिले के विभिन्न गांवों में शनिवार को फूल संक्रांति का पर्व धूमधाम के साथ मनाया गया। सुबह से ही नन्हें-मुन्ने बच्चों में फूलदेई को लेकर भारी उत्साह देखा गया। बसंत ऋतु में उगने वाले विभिन्न प्रजातियों के पुष्पों को बच्चों द्वारा टोकरियों में इकट्ठा कर प्रात: लोगों के घरों की चौखटों में डालकर खुशहाली की कामना की गई। इस एवज में लोगों द्वारा बच्चों को मिठाई, गुड़, चावल और पैसा आदि दिए गए। जल्दी में निपटाया त्योहारगैरसैंण। फूलदेई, छमादेई, दैणीद्वार भरे भकार और फूलफूल खाजा के सुरीले मिश्रित स्वरों के बीच देहली पर फूल बिखेरते बच्चे जल्दी में दिखे। उन्हें अपना प्रिय त्योहार फूलदेई मनाने के बाद स्कूल जो जाना था। प्रात: नौ बजते-बजते बच्चे अपने वर्ष भर का त्योहार जल्दी में मनाकर निपट चुके थे। एक दिन जो विशुद्ध रूप से बच्चों को अपने अंदर खुशी महसूस करने और घर-घर जाकर आशीर्वाद ले खुशहाली की कामना करने का है तब उन्हें अवकाश 1यों नहीं? यह सवाल यहां के आम जनमानस के मन में उभर रहा है। क्षेत्र प्रमुख जानकी रावत कहती है बच्चों की खुशी में शामिल होकर उनका उत्साह बढ़ाने के प्रयास किए जाने चाहिए।

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