Friday 27 February 2009

आशियाना बनाने में मानक बने रोड़ा

27.2.9- देहरादून, दून में आशियाना बनाना अब आसान नहीं, खासतौर से मध्यम वर्ग के लिए। प्लाट खरीदने से पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि उसका फ्रंट 25 फुट से कम न हो अन्यथा आपके आशियाने का सपना धरा का धरा रह सकता है। यही नहीं, दो फ्रंट वाले प्लाटधारकों को भी खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। राजधानी में इस तरह के एक या दो नहीं बल्कि सैकड़ों मामले हैं, जिनमें छोटे प्लाट धारकों के भवन निर्माण का सपना साकार नहीं हो पा रहा। दून में जमीन की आसमान छूती कीमतें जगजाहिर हैं। हालात ये हैं कि राजधानी के कई इलाकों में प्रापर्टी के दाम इतने ज्यादा हैं कि एक आम-आदमी छोटा सा प्लाट खरीदने की भी हिम्मत नहीं जुटा पाता। जैसे तैसे छोटा सा प्लाट खरीद भी ले तो एमडीडीए के नियम-कायदे उसके घर निर्माण की राह में रोड़ा बन रहे हैं। इन परिस्थितियों में कई दफा तो भवन निर्माण का सपना धरा का धरा रह जाता है। ऐसे में एक ही रास्ता बचता है वो है, अवैध निर्माण का लेकिन यहां भी राह आसान नहीं। एक बार आपने भवन निर्माण किया नहीं कि एमडीडीए से नोटिस आने का सिलसिला शुरू हो जाता। नतीजतन या तो आपको निर्माण कार्य रोकना होगा या फिर न चाहते हुए भी गलत तरीकों को अपनाना होगा। एमडीडीए के मानकों के मुताबिक यदि किसी व्यक्ति का प्लाट आर-थ्री श्रेणी यानि न्यून घनत्व में है तो उसका फ्रंट एरिया कम से कम 25 फुट होना चाहिए। एमडीडीए का यही मानक छोटे प्लाट धारकों के लिए गले की फांस साबित हो रहा है। स्थिति ये है कि जिन लोगों के प्लाट का फ्रंट एरिया 25 फुट से कम है, एमडीडीए ऐसे नक्शों को पास नहीं कर रहा। वहीं, दो फ्रंट वाले छोटे प्लाट धारकों की समस्या भी इससे मिलती जुलती है। मानक के अनुरूप कार्य करने पर प्लाट में इतना भू-भाग नहीं बचता कि आवश्यकता के अनुरूप निर्माण हो। गौरतलब है कि दो फ्रंट वाले प्लाटों की कीमत एक फ्रंट वाले की तुलना में अधिक होती है। भू माफिया इससे बखूबी वाकिफ हैं और इसी का फायदा उठाकर प्लाटों की कीमत बढ़ा दी जाती है।

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