Monday 16 February 2009

कुमाऊं विवि में वेतन के लाले

नैनीताल: कुमाऊं विश्र्वविद्यालय अपने गौरवशाली इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। शासन की उपेक्षा, विवि प्रशासन की अदूरदर्शिता के कारण यह शिक्षण संस्थान समस्याओं के साथ ही विवादों का पर्याय बन गया है। इसी विवि के साथ स्थापित गढ़वाल विवि जहां केंद्रीय दर्जा प्राप्त कर उत्सव मना रहा है, वहीं इस संस्थान में प्राध्यापकों व कर्मचारियों को वेतन के लिए हर बार शासन का मुंह देखना मजबूरी बन गया है। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा द्वारा राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए स्थापित कुमाऊं विवि के सितारे वर्तमान में गर्दिश में हैं। विवि के तीनों परिसर डीएसबी, अल्मोड़ा व भीमताल प्राध्यापकों व कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे हैं। शासन की उपेक्षा ने विवि की माली हालत को सोचनीय बना दिया है। विवि परिसरों व संबद्ध महाविद्यालयों में सवा लाख से अधिक पंजीकृत छात्र हैं। विवि का वार्षिक बजट 22 करोड़ निर्धारित है। राज्य गठन के बाद सरकार द्वारा हर विवि को 11 करोड़ प्रतिवर्ष प्रदान करने का प्रावधान था, जो अब बढ़ने के बजाय घटकर 7 करोड़ हो गया है। शासन की उपेक्षा के कारण विवि भयंकर मंदी के दौर से गुजर रहा है। प्राध्यापकों व कर्मचारियों को वेतन देने में हर माह विवि प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं। इस बीच प्राध्यापकों व कर्मचारी आंदोलनों से विद्यार्थियों का पठन-पाठन भी प्रभावित हो रहा है। विवि प्रशासन व शासन के नकारात्मक रवैये के कारण यहां अध्ययनरत छात्र अन्यत्र प्रवेश ले चुके हैं, अथवा दूसरे संस्थान में जाने की तैयारी कर रही हैं। बहरहाल विख्यात भूगर्भ शास्त्री प्रो.खड़ग सिंह वल्दिया, भटनागर अवार्ड विजेता प्रो.जेएस सिंह जैसी महान हस्तियों को उदीयमान करने वाला सितारा खुद की चमक के लिए हाथ फैला रहा है।

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