Tuesday 20 January 2009

यूपी व उत्तराखंड आमने-सामने

20 jan- देहरादून, उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड के बीच गंगा मैनेजमेंट बोर्ड को लेकर 23 जनवरी को दिल्ली में महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है। केंद्रीय जल संसाधन सचिव की मध्यस्थता में होने वाली बैठक में दोनों राज्यों के बीच इस मामले पर फिर से खींचतान होने की संभावना है। दरअसल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड की सिंचाई विभाग की परिसंपत्तियों पर पिछले आठ साल से काबिज है। यूपी इन संपत्तियों को उत्तराखंड को लौटाने के एवज में गंगा मैनेजमेंट बोर्ड से जोड़ता है। यूपी चाहता है कि पहले गंगा मैनेजमेंट बोर्ड का गठन हो तब सिंचाई संपत्तियां लौटाई जाएंगी। उधर, उत्तराखंड इन दोनों मामलों को अलग-अलग परिप्रेक्ष्य में लेने का पक्षधर है। 2 सितंबर 08 को केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में इन दोनों मामलों को अलग-अलग करने पर सहमति हो चुकी है। उत्तराखंड राज्य गठन के ठीक दो दिन पहले 7 नवंबर 2000 को केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें व्यवस्था दी गई कि उत्तराखंड राज्य के मुख्य अभियंता के अधीन सिंचाई विभाग की वही परिसंपत्तियां रहेंगी जो तत्कालीन मुख्य अभियंता के अधिकार क्षेत्र में हैं। बाकी परिसंपत्तियां उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अधीन रहेंगी। इसमें हरिद्वार तथा ऊधमसिंह नगर की कई परिसंपत्तियां शामिल हैं जो आज भी उत्तर प्रदेश के कब्जे में है। इसमें सिंचाई विभाग की 13813 हेक्टेयर भूमि, 4384 भवन, 41 ऐसी नहरें जिनका हेड तथा टेल दोनों उत्तराखंड में हैं और कई झीलें शामिल हैं। इस कारण हरिद्वार स्थिति कुंभ क्षेत्र की भूमि पर उत्तराखंड समुचित विकास कार्य नहीं कर पा रहा है। यहां तक कि प्रस्तावित दिल्ली-देहरादून हाई वे के निर्माण के लिए उत्तराखंड को अपने ही राज्य के अंतर्गत सिंचाई विभाग की भूमि लेने के लिए उत्तर प्रदेश से इजाजत मांगनी पड़ रही है। महीनों से उत्तर प्रदेश इस मामले को लटका रहा है। उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 के अनुच्छेद 79 से 84 में मैनेजमेंट एंड डेवलपमेंट आफ वाटर रिसोर्सेज का उल्लेख किया गया है, जिसके अंतर्गत अनुच्छेद 80 से 83 में गंगा मैनेजमेंट बोर्ड गठित करने का प्रावधान किया गया है। इस अधिनियम के अनुच्छेद 64 में केंद्र सरकार को अधिकार दिया गया है कि इस संबंध में उचित व्यवस्था दे सकती है। उत्तर प्रदेश इसी को आधार बनाकर गंगा मैनेजमेंट बोर्ड गठित करना चाहता है ताकि उत्तराखंड की नदियों पर उसका दखल हो जाए। अब 23 जनवरी को होने वाली बैठक केंद्रीय जल संसाधन सचिव की अध्यक्षता में होगी और इसमें गंगा मैनेजमेंट बोर्ड पर चर्चा होगी। इस बैठक में दोनों राज्यों के बीच फिर से गरमागरम बहस होने की संभावना है।

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